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राजिन्दर सिंह बेदी वाक्य

उच्चारण: [ raajinedr sinh bedi ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • » राजिन्दर सिंह बेदी की कहानी-लाजवन्ती
  • १९९४-रामदेव झा (सगाइ-राजिन्दर सिंह बेदी, उर्दू)
  • राजिन्दर सिंह बेदी की कहानी-लाजवन्ती
  • कहानी निर्मल कुमारी की, स्क्रीनप्ले अमर कुमार का, और संवाद राजिन्दर सिंह बेदी के।
  • कहानी निर्मल कुमारी की, स्क्रीनप्ले अमर कुमार का, और संवाद राजिन्दर सिंह बेदी के।
  • अचानक माता की बीमारी ने उसे हमसे छीन लिया और राजिन्दर सिंह बेदी की फिल्म रानो को साकार करने का सपना अधूरा रह गया.
  • बदायूँ उत्तर प्रदेश में जन्मी और जोधपुर में पली बढ़ी, जहाँ उनके पिता एक सिविल सर्वेंट थे, इस्मत चुगताई, सआदत हसन मंटो, किशन चन्दर और राजिन्दर सिंह बेदी के साथ उर्दू साहित्य के प्रमुख चार स्तंभों में से एक हैं।
  • ठोस कथा (नारायण सन्याल), प्रभावी कथानक (बिमल दत्ता) और बहुत ही प्रभावशाली संवादों (राजिन्दर सिंह बेदी) से सजी इस फिल्म में जो थोड़ा बहुत खटकता है वह है सत्यप्रिय के बीमार होने के बाद ठेकेदार लाडिया (तरुण बोस) के चरित्र का पलटा खाना।
  • इसके अलावा इस अंक में अन्य भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं की पांच कालजयी प्रेम कहानियों को प्रकाशित किया गया है, जिनमें चंद्रधर शर्मा गुलेरी, फणीश्वरनाथ रेणु, मन्नू भंडारी, जयशंकर प्रसाद, इस्मत चुगताई, राजिन्दर सिंह बेदी, वैकम मुहम्मद बशीर, चेखव, मार्केस आदि प्रमुख हैं ।
  • पृथ्वी का नमक राजू भाई डॉट कॉम लालबहादुर का इंजन शह और मात राज गिल शरणार्थी राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह कानों में कँगना राजा शिवप्रसाद सितारे-हिंद राजा भोज का सपना राजिन्दर सिंह बेदी लाजवन्ती राजी सेठ उसका आकाश (ई-पुस्तक) किसका इतिहास तुम भी बाहरी लोग यहीं तक यात्रा-मुक्त राजू शर्मा कहानीकार राजेंद्र दानी इस सदी के अंत में एक सपना(ई-पुस्तक) राजेंद्र यादव अभिमन्यु की आत्महत्या राधाकृष्ण उसकी कहानी पागल राधावल्लभ त्रिपाठी जड़ें धूर्तोपाख्यान साधु और गणिका की कथा रामकुमार चेरी के पेड़ रामचंद्र शुक्ल ग्यारह वर्ष का समय रामदरश मिश्र सड़क रामलाल एक शहरी
  • प्रख्यात लेखक राजिन्दर सिंह बेदी द्वारा रचा गया उपरोक्त्त वचन ब्रिटिश राज से नये नये स्वाधीन हुये भारत की सच्चाई पर कसा गया वह व्यंग्य बाण है जिसे अपने अस्तित्व पर सहन करने के बाद भारत नामक लोकतांत्रिक देश को शर्मिंदा होकर चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये था परंतु भारत और इसके लोगों ने अपनी चमड़ी गेंडे की खाल से भी मोटी कर ली और भ्रष्टाचार को अपना मुख्य धर्म बना लिया और ऐसे परिवेश में इने-गिने ईमानदार लोगों की हत्यायें होती चली गयीं और यत्र-तत्र-सर्वत्र, भ्रष्टाचार का ही वास हो गया।
  • प्रख्यात लेखक राजिन्दर सिंह बेदी द्वारा रचा गया उपरोक्त्त वचन ब्रिटिश राज से नये नये स्वाधीन हुये भारत की सच्चाई पर कसा गया वह व्यंग्य बाण है जिसे अपने अस्तित्व पर सहन करने के बाद भारत नामक लोकतांत्रिक देश को शर्मिंदा होकर चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये था परंतु भारत और इसके लोगों ने अपनी चमड़ी गेंडे की खाल से भी मोटी कर ली और भ्रष्टाचार को अपना मुख्य धर्म बना लिया और ऐसे परिवेश में इने-गिने ईमानदार लोगों की हत्यायें होती चली गयीं और यत्र-तत्र-सर्वत्र, भ्रष्टाचार का ही वास हो गया।
  • प्रख्यात लेखक राजिन्दर सिंह बेदी द्वारा रचा गया उपरोक्त्त वचन ब्रिटिश राज से नये नये स्वाधीन हुये भारत की सच्चाई पर कसा गया वह व्यंग्य बाण है जिसे अपने अस्तित्व पर सहन करने के बाद भारत नामक लोकतांत्रिक देश को शर्मिंदा होकर चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये था परंतु भारत और इसके लोगों ने अपनी चमड़ी गेंडे की खाल से भी मोटी कर ली और भ्रष्टाचार को अपना मुख्य धर्म बना लिया और ऐसे परिवेश में इने-गिने ईमानदार लोगों की हत्यायें होती चली गयीं और यत्र-तत्र-सर्वत्र, भ्रष्टाचार का ही वास हो गया।

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